Ankit Raj

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छठ पूजा के गीत याद आता है 08-Nov-2021

ये धुन सुनते ही तन में खुशी की लहर दौड़ता है 

गाँव, घर, घाट का वो दृश्य याद आता है
भले ही छुट्टी न मिलने से घर न आ पाएँ है
फिर भी छठ पूजा का पावन दिन याद आता है 

सबको ललकार कर घाट की सफाई करना हो
या घाट को दिया से सुसज्जित करना हो 
चाहे फल, ईख का वितरण करना हो
हमें वो सब किया काम याद आते है 

माई हमरा से बोली की बबुआ घरे कब आईबे 
हम बोल देलिं की बहुत काम बा माई
हम का बोलीं माई से छुट्टी ना मिलल 
माई के गावल वो मीठी गीत याद आता है 

हम भी आना चाहते है घर पर , क्या करे छुट्टी तो मिलती नहीं 
बॉस कहता है दशहरा मे जाओगे तो छठ में नही
छठ में जाओगे तो होली में नही 
नौकरी के खातिर जीवन से हर त्योहार जाता है 

माई के तीन दिन बिना अन जल व्रत रखना 
हमारे लिए खुशी व कामयाबी का दुआ मांगना 
उगते डूबते सूर्य को अरग देना और कोसी भरना
वो ठेकुआ, वो मीठी खीर याद आता है 

की हम भी घर रहते तो भंडारा में शामिल होते 
दूध बटवाते, सब को चाय पिलवाते
डुबकी लगा कर हम भी दिया जलाते
अर्ग के पीयरी धोती और माई की वो रोटी याद आता है 
घर न पहुँच पाने वालों को गाँव के वो गीत याद आता है 
                             
                                                 ✍अंकित राज

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11 Comments

Bittu Raj

07-May-2022 03:42 PM

जय हो बहुत अच्छा

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Raj Ankit Maurya

18-Dec-2021 07:50 AM

Very nice

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Zakirhusain Abbas Chougule

12-Dec-2021 02:40 PM

Nice

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